नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘एल्डरमैन’ नियुक्त करने के फैसले को बरकरार रखा। पिछले साल मई में, सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें गजट नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत एलजी ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर नहीं, बल्कि अपनी पहल पर एमसीडी में 10 मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति की थी। फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि संसद द्वारा बनाए गए दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत एलजी को अपने विवेक से काम करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिनियम की धारा 3(3)(बी) (जैसा कि समय-समय पर संशोधित किया गया है) का पाठ स्पष्ट रूप से उपराज्यपाल को निगम में विशेष ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को नामित करने का अधिकार देता है, प्रयोग की जाने वाली शक्ति उपराज्यपाल का वैधानिक कर्तव्य है, न कि राज्य की कार्यकारी शक्ति।