नई दिल्ली। हेल्थकेयर इनोवेशन के लिए एक मील का पत्थर साबित हुए, ऑरेटिक्स लिमिटेड ने राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) की मदद से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( सीएसआईआर ) के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते (टीओटी) पर हस्ताक्षर किए। सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स, मुंबई के उद्घाटन समारोह के दौरान अंतिम रूप दिया गया यह समझौता विज्ञान समर्थित समाधानों के माध्यम से जोड़ों के स्वास्थ्य की चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक कदम आगे है। यह साझेदारी हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित सीएसआईआर -आईएचबीटी में विकसित कार्टिलेज निर्माण के लिए चिकित्सकीय रूप से परीक्षित हर्बल फॉर्मूलेशन के इर्द-गिर्द घूमती है। मुंबई के अंधेरी (पश्चिम) स्थित सीएसआईआर -एनआईओ क्षेत्रीय केंद्र परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत और डॉ. वीके पॉल सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सीएसआईआर के महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सचिव डॉ. एन. कलईसेलवी ने राष्ट्रीय लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में विज्ञान और उद्योग के बीच साझेदारी के महत्व को रेखांकित किया। ऑरेटिक्स लिमिटेड के सीईओ अर्जुन गुप्ता ने समझौते की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “ऑरेटिक्स और सीएसआईआर के बीच यह सहयोग इस बात का उदाहरण है कि वैज्ञानिक अनुसंधान समाज को सीधे कैसे लाभ पहुंचा सकता है। इस अभिनव हर्बल फॉर्मूलेशन को बाजार में लाकर, हमारा लक्ष्य पूरे भारत में स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हुए व्यापक उपास्थि-संबंधी समस्याओं को संबोधित करना है।” कठोर वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित यह फॉर्मूलेशन प्रारंभिक चरण के गठिया और जोड़ों की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक किफायती और प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिए तैयार है। गुप्ता ने जोर देकर कहा कि यह साझेदारी वैज्ञानिक उत्कृष्टता और उद्यमशीलता की दृष्टि के अभिसरण को दर्शाती है। सीएसआईआर -आईएचबीटी के डॉ. अरविंद कुमार गुप्ता ने मजबूत नैदानिक अनुसंधान में परियोजना की नींव की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “यह हर्बल फॉर्मूलेशन उपास्थि विकृति को संबोधित करने में एक सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। यह दर्शाता है कि भारत की वैज्ञानिक प्रगति सार्वजनिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से कैसे प्रभावित कर सकती है।”