संवाददाता
गाजियाबादः उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद से लापरवाह पुलिसकर्मियों पर लाइन हाज़िर या सस्पेंशन की कार्रवाई हो रही है। बीते करीब तीन महीने में अलग-अलग मामलों में कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई। एक मामले में तो चौकी इंचार्ज व अन्य के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई। शालीमार गार्डन में भाजपा नेता रिज़वान खान से मारपीट मामले में डीसीपी ट्रांस हिंडन की ओर से शालीमार गार्डन चौकी इंचार्ज योगेश कुमार व हेड कॉन्स्टेबल वाजिद अली को सस्पेंड कर उनके खिलाफ जांच बैठाई गई। इससे पहले 8 जनवरी को इंदिरापुरम के कनावनी में ऑटो चालक की पिटाई और मौत मामले में सख्ती बरती गई थी। जिसके बाद कनावनी चौकी इंचार्ज अमित कुमार, कांस्टेबल रविन्द्र व दो अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
फरवरी में इंदिरापुरम क्षेत्र में एलिवेटेड रोड पर हुई हुड़दंगई के मामले लापरवाही बरतने वाले हेड कॉन्स्टेबल विक्रम सिंह व कॉन्स्टेबल सुखवीर सिंह के खिलाफ भी सस्पेंशन की कार्रवाई की गई थी। बीते 6 मार्च को केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के ओएसडी की पत्नी से लूट मामले में भी प्रहलाद गढ़ी व वैशाली चौकी इंचार्ज पर ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर सस्पेंड कर दिया गया। बीते सप्ताह एलिवेटेड रोड पर सीसीटीवी कैमरों के तार काटने के मामले में भी ड्यूटी पर तैनात 10 पुलिसकर्मियों सब इंस्पेक्टर सूरज भान, हेड कॉन्स्टेबल अमित, श्रीपाल व जयपा, कॉन्स्टेबल अशोक, राहुल, अनिल, अभिजित बालियान, चालक विजय व देवेन्द्र को लाइन हाज़िर किया गया था। पुलिस अधिकारियों द्वारा इस तरह की कार्यवाई का संदेश साफ है कि वह ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों को कतई भी बख्शने के मूड में नहीं हैं।
इसलिए भी भुगत रहे खमियाज़ा
कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद भारी संख्या में बाहरी जिलों से आए पुलिसकर्मियों की तैनाती गाज़ियाबाद के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में काम कर चुके पुलिसकर्मी कुछ हद तक यहां के क्राइम कल्चर को समझते हैं, लेकिन नए पुलिसकर्मियों के लिए यह समझना कुछ मुश्किल होता है। या यूं कहें कि वह इसे समझने के बजाय लापरवाही कर जाते हैं, जिसका खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।