यूपी के पहले आईपीएस है जिन्होंने 3 माह एसएचओ की ट्रेनी पोस्टिंग में कर ही दिया था कमाल का काम
नासिर खान
गाजियाबाद। अगर आप पेशे से इंजीनियर हो और जापान जैसे देश में लाखों रूपए महीने की सेलरी पर नौकरी करते हो, तो भला कौन चाहेगा कि इस नौकरी को लात मारकर, हमेशा जान जोखिम में डालकर लोगों के ताने सुनने और मुसीबत का सामना करने वाली पुलिस की नौकरी करें।
अगर कोई ऐसा करता है तो शायद ऐसा करने वाला शख्स अजूबा ही होगा। लेकिन हकीकत ये है कि विवेक चन्द्र यादव ऐेसे अनोखे शख्स है जिन्होंने जापान में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की लाखों में पगार वाली नौकरी छोड दी और अपने देश आकर कड़ी मेहनत से सिविल सर्विस की परीक्षा पास करके आईपीएस बन गए। आईपीएस बनने के बाद न तो वैसी पगार है न जिंदगी का सकून। लेकिन कंधो पर लगे अशोक चक्र से गर्व की जो अनुभूति होती है, उसे बयान करने के लिए विवेक के पास श्ब्द नहीं हैं।
गाजियाबाद कमिश्नरेट में डीसीपी ट्रांस हिंडन के रूप में तैनात आईपीएस डा. दीक्षा शर्मा का एसपी हमीरपुर के पद पर तबादला होंने के बाद विवेक चन्द्र यादव ट्रांस हिंडन जोन के नए डीसीपी नियुक्त हुए हैं।
मेरठ में बतौर एएसपी तैनात विवेक यादव यूपी कैडर में 2019 बैच के ऐसे आईपीएस जिनके संघर्ष की कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा देने वाली है।
विवेक चन्द्र यादव का जन्म गोरखपुर शहर के पादरी बाजार के जंगल हकीमपुर नंबर दो, मोहनापुर में 26 मई 1994 को हुआ था। उनके पिता रमाशंकर यादव साधारण किसान और मां श्यामा देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। आर्थिक चुनौतियों से जूझने के बावजूद भी रमाशंकर यादव ने अपने होनहार इकलौते बेटे की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी। बचपन से ही मेधावी रहे विवेक ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई सेंट मेरी स्कूल, पादरी बाजार से की। उसके बाद उनका चयन आईआईटी, दिल्ली के लिए हो गया। हिदी माध्यम के छात्र विवेक ने आइआइटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिग में बीटेक की उपाधि ली है। वर्ष 2015 में बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विवेक ने जापान में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक वर्ष तक नौकरी शुरू कर दी।
लेकिन वहां मन नहीं लगा। क्योंकि जज्बा था देश में रहकर कुछ अलग तरह की सेवा करने का, सो जापान में अपनी काबलियत का कमाल दिखाकर दिल के हाथों मजबूर होकर वापस अपने वतन लौट आये।
दरअसल, विवेक चन्द्र यादव बचपन से आईएएस बनना चाहते थे यहीं सपना उन्हें अपने वतन खींच लाया। उन्होंने वतन लौटकर सिविल सर्विसेज की तैयारी प्रारंभ कर दी थी। वर्ष 2016 में विवेक चन्द्र यादव ने पहली सिविल यूपीएससी की परीक्षा दी, इस परीक्षा में वह सफल नहीं हो पाये। इस परीक्षा में साक्षात्कार तक तो पहुंचे थे। लेकिन सफल नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी और फिर प्रयास किया। फिर प्रयास करने के पश्चात भी उन्हें सफलता नहीं मिल पायी।
पब्लिक की सेवा करने के लिये सिविल सर्विसेज के सपने के आगे उन्होंने अपने घुटने टिकने नहीं दिये और निरंतर प्रयास करते रहे। वर्ष 2018 में उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की और आईपीएस बन गये और अपने सपने का साकार कर दिया। एक किसान के बेटे ने अपने संघर्ष के बल पर वह मुकाम हासिल किया है, जो युवाओं के लिये एक मिसाल है। जनून और जज्बे ने जिंदगी तो बदल डाली लेकिन अब बारी थी सपने को अलग तरह से सच करके दिखाने की।
2019 बैच के आईपीएस विवेक चन्द्र यादव को बतौर प्रशिक्षु मुजफ्फर नगर के सिखेड़ा थाने में तीन माह के लिए एसएचओ के रूप में तैनाती मिली। इस अल्पा कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी अनोखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए थाने का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया।
उन्होंने जापान में अपने अनुशासित जीवन के अनुभव तथा प्रयासों से वो कर दिखाया जो इससे पहले किसी प्रशिुक्ष आईपीएस ने नहीं किया। उन्होंने इस थाने को इस तरह से विकसित किया कि सिखेड़ा जनपद मुजफ्फरनगर का प्रथम आदर्श थाना बन गया है। 26 अक्टूबर 2020 से 26 जनवरी 2021 तक उन्होंने थाना सिखेड़ा का कार्यभार संभाला। तीन माह के सिखेड़ा थाने के कार्यकाल के दौरान उन्होंने थाने का कायाकल्प करते हुए उसे मुजफ्फरनगर का पहला आदर्श थाना बनाने का सराहनीय कार्य किया।
मुजफ्फरनगर में प्रशिक्षण के दौरान ही सफलता के झंडे गाडने के बाद विवेक चन्द्र यादव की पहली नियुक्ति जनपद मेरठ में सीओ ब्रह्मपुरी के पद पर हुई।
यहीं से शुरू हुआ विवेक यादव का अलग तरह की पुलिसिंग करने का असली सफर। अपराध की रोकथाम से लेकर अपराधियों के मन से भय व्याप्त कर अपराध की भावना को जड़ से खत्म करने और पुलिस के व्यक्तित्व को समाज में एक आदर्श चरित्र के रूप में स्थापित करना उनका मिशन है। इसे आगे बढाते हुए कुछ माह पहले ही उन्हें एएसपी के रूप में पदोन्नति मिली और अब उन्होंने गाजियाबाद कमिश्नरेट में ट्रांस हिंडन डीसीपी के रूप में पदभार संभाला है।
दिल्ली से सटे इस हाइटेक शहर में आईपीएस विवेक यादव को कई तरह की नई चुनौतियों से सामना होगा। उम्मीद है वे हर चुनौती पर खरे उतरेंगे। लेकिन आईपीएस विवेक चन्द्र यादव का जीवन संघर्ष सुविधाओं और संसाधान के अभाव में अफसलता का रोना रोने वाले उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। जो संसाधनों के अभाव का ठींकरा अपनी असफलता पर फोड़कर मायूसी के अंधेरे में गुम हो जाते हैं।