विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज कुल प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) या शिकायतों में से केवल 2.98 प्रतिशत मामले ही मौजूदा या पूर्व सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ हैं, वहीं धन शोधन रोधी कानून के तहत दोषसिद्धि की दर 96 प्रतिशत है।
संघीय जांच एजेंसी ने 31 जनवरी 2023 तक तीन कानूनों – धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के तहत की गई अपनी कार्रवाई के अद्यतन आंकड़े जारी किए हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 में बना था और जुलाई 2005 में ईडी को पीएमएलए के कड़े प्रावधानों को लागू करने का काम सौंपा गया।
एजेंसी को जांच के लिए आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाने, गिरफ्तार करने, उनकी संपत्ति कुर्क करने और अदालत के समक्ष अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार है। आंकड़ों के अनुसार, ईडी ने मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों और विधान पार्षदों के खिलाफ कुल 176 ईसीआईआर दाखिल की। ईसीआईआर को पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के बराबर माना जाता है। यह इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद से दर्ज की गई ऐसी कुल 5,906 शिकायतों का 2.98 प्रतिशत है।
आंकड़ों के अनुसार, पीएमएलए के तहत अभी तक 1142 अभियोजन पक्ष की शिकायतें या आरोपपत्र दाखिल किए गए और इनके आधार पर कुल 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान पीएमएलए के तहत कुल 25 मामलों में सुनवाई पूरी हुई और इसके परिणामस्वरूप 24 मामलों में सजा हुई। एक मामले में व्यक्ति को बरी कर दिया गया। इन मामलों में धनशोधन रोधी कानून के तहत कुल 45 लोग दोषी ठहराए गए। सजा दिए जाने की दर 96 प्रतिशत है।
आंकड़ों के अनुसार, इन दोषसिद्धियों के मामलों में 36.23 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई, जबकि अदालत ने दोषियों के खिलाफ 4.62 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। आंकड़ों के अनुसार, दर्ज किए गए कुल 5,906 ईसीआईआर में से केवल 8.99 प्रतिशत या 531 मामलों में एजेंसी के अधिकारियों द्वारा तलाशी या छापेमारी की गई। विपक्षी दलों ने अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अकसर ईडी की आलोचना करते हुए कहा है कि एजेंसी के मामलों में सजा की दर निराशाजनक है।
एजेंसी धन शोधन रोधी कानून के तहत कुछ मौजूदा मुख्यमंत्रियों, शीर्ष राजनेताओं, नौकरशाहों, व्यापारिक समूहों, कॉरपोरेट जगत के लोगों, विदेशी नागरिकों सहित अन्य नामी हस्तियों के खिलाफ जांच कर रही है। एजेंसी के अनुसार उसने फेमा के तहत इस साल जनवरी के अंत तक कुल 33,988 मामले दर्ज किए और 16,148 मामलों में जांच पूरी की। फेमा के तहत कुल 8,440 कारण बताओ नोटिस (जांच पूरी होने के बाद) जारी किए गए, जिनमें से 6,847 पर फैसला सुनाया गया। फेमा को 1973 के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) को निरस्त करने के बाद 1999 में लागू किया गया था।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के तहत 15 लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई, जिनमें से नौ को अदालतों द्वारा अब तक भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) घोषित किया गया और कानून के तहत करीब 862.43 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई। इस कानून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उन लोगों पर नकेल कसने के लिए बनाया था जिन पर व्यापक स्तर पर धोखाधड़ी करने का आरोप है और कानून से बचने के लिए वे विदेश भाग गए हैं।