संवाददाता
नोएडा। गर्मी का पारा बढ़ने के साथ आगजनी की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। शहर की हाइराइज सोसायटी, सरकारी इमारत, कंपनियों, स्कूलों, कालेजों, अस्पतालों सहित अन्य जगह का निरीक्षण कर अग्निशमन विभाग इसकी जानकारी कर रहा है कि कहां अग्निशमन उपकरण पूरे हैं और कहां नहीं है। इसी क्रम में विभाग ने जिलेभर के सभी छोटे-बड़े 164 अस्पताल का निरीक्षण किया। इसमें कुल 103 अस्पतालों में कमी पाई गई। विभाग की ओर से अस्पताल प्रबंधन को नोटिस दी गई है और अल्प समय में ही व्यवस्था को सही कराने को कहा गया है।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी के नेतृत्व में 11 मार्च से 25 मार्च तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा से लेकर ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में कई तरह की अन्य खामियां भी मिली हैं। गर्मी के बढ़ने पर यदि इन अस्पतालों में आग लग जाती है तो यहां मरीजों और कर्मचारियों को बचाना अग्निशमन विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। किसी अस्पताल में पाइप लाइन ठीक नहीं है तो कहीं निकास मार्ग अवरुद्घ है। कई अस्पतालों में गैस सिलेंडर खाली पड़े हैं।
सबसे अधिक गांव और देहात क्षेत्र में खामियां मध्यम और छोटे अस्पतालों में मिली, जबकि यहां मरीजों की संख्या काफी रहती है। अग्निशमन विभाग की तरफ से सभी अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया है कि वह तत्काल सुरक्षा मानकों के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था कर लें। क्योंकि गर्मी में कई बार खामियों से अग्निशमन सुरक्षा को खतरा रहता है और आग लगने की स्थिति में बड़ा हादसा हो सकता है। अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है।
सरकारी अस्पतालों में खराब पड़े अग्निशमन उपकरणसेक्टर-30 स्थित दो मंजिला जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर लगे अग्निशमन उपकरण खराब पड़े हैं। ऐसे में यहां आग लगी तो आग बुझाना मुश्किल होगा। अस्पताल हौजरी से पानी का पाइप गायब है। वहीं सेक्टर-24 स्थित छह मंजिला कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल में अग्निशमन उपकरण खराब हैं। जबकि दोनों अस्पताल में 300 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। पूर्व में दोनों अस्पतालों में आग लग चुकी है।
अब स्कूलों के निरीक्षण की बारी
अग्निशमन विभाग की टीम अब जिले के सरकारी और निजी स्कूलों में निरीक्षण कर अग्निशमन उपकरण की जांच करेगी। क्योंकि शहर में कई निजी स्कूल संचालक बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस घोर लापरवाही का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ सकता है।जिले के ज्यादातर अस्पतालों का निरीक्षण किया है। इसमें सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं।