नई दिल्ली। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में 27 जुलाई को पानी भरने से 3 आईएएस अभ्यर्थियों की मौत के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में एक PIL दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली सरकार, एमसीडी, दिल्ली पुलिस और सिविक अथॉरिटी सबकी क्लास लगा दी है। याचिकाकर्ता ट्रस्ट कुटुंब की तरफ से अदालत में मौजूद एडवोकेट रुद्र विक्रम सिंह ने अदालत के समक्ष कहा कि राजेंद्र नगर की घटना नई नहीं है। यह मुखर्जी नगर में हुई घटना और विवेक विहार में हुई अगलगी की घटना के समान ही है। अदालत ने यह कहते हुए सिविक अथॉरिटी को फटकारा, ‘मुझे कहने में दु:ख हो रहा है कि सिविक अथॉरिटी दिवालिया हो गई है।’ अदालत ने कहा कि वो इन्फ्रास्ट्रक्चर औऱ सुरक्षा के मुद्दे पर प्रभावकारी ऐक्शन लेने और जिम्मेदारी निभाने में कमी रही। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने अथॉरिटी को फटकारते हुए कहा कि आप बहुमंजिला इमारतें बनाने की इजाजत तो दे रहे हैं लेकिन वहां प्रॉपर तरीके से नाले नहीं हैं। आप मुफ्त में खरीदने वाली संस्कृति चाहते हैं टैक्स लेना नहीं चाहते हैं। यह तो होना ही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आगे कहा कि अथॉरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहते हैं लेकिन वो दिवालिया हैं और यहां तक कि सैलरी भी नहीं दे सकते हैं। अदालत ने इशारा किया कि वो इस घटना की जांच सीबीआई या लोकपाल से करवा सकती है। अदालत ने कहा, ‘जांच की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम इसकी जांच केंद्रीय एजेसी को देंगे। हम इसे या तो सीबीआई या फिर लोकपाल के अंदर लाएंगे। इससे बड़ी तस्वीर सामने आएगी। हम जिम्मेदारी तय करते हुए आदेश देंगे। यह काफी गंभीर घटना है। यह व्यापक पैमाने पर आधारभूत संरचना के टूटने का विषय है। सबसे पहले यह लापरवाही का केस है।’ अदालत ने इस केस को आपराधिक लापरवाही कहा है।