फरीदाबाद। मेरी बेटी सफलता के पथ पर दौड़ती रहे। उसे इसके लिए संसाधनों की कोई कमी न आए। इसके लिए मैंने पेट्रोल पंप पर 15 हजार रुपये की नौकरी की, लगातार 48 से 72 घंटे तक काम किया। ओवर टाइम कर के अतिरिक्त पैसा कमाया तकि बेटी को डाइट पूरी मिल सके। घर में दो भाई गौतम व कृष्ण और बड़ी बहन की ज्योति की जिम्मेदारी भी मुझ पर थी। आज मुझे खुशी है कि बेटी प्रीति ने मेरी तपस्या का फल मुझे दे दिया। उसने जो मेहनत की, वो सफल हो गई। इन शब्दों के साथ भावुक व गौरवान्वित पिता जगबीर सिंह ने अपनी पुत्री प्रीति लांबा की सफलता के पीछे की छिपी कहानी को बताया। प्रीति लांबा ने सोमवार शाम को हांगझू में एशियन गेम्स में तीन हजार मीटर स्टीपल चेस दौड़ में कांस्य पदक जीतकर गौरव बढ़ाया है। गांव जवां की इस बेटी के पदक जीतने के पूरे गांव में खुशी का माहौल नजर आया। प्रीति की मां राजेश, भाभी अंजलि, ताई सत्यवती नाच गाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त कर रही हैं। सूचना पाकर मौसा धनसिंह मलिक, बीरपाल धारीवाल, ऋषिपाल मलिक, अजीत नंबरदार, महावीर फौजी, अश्वीर सिंह, सूबेदार रामरूप फौजी और ताई सुमेर सिंह निवास पर पहुंच कर बधाई दी। इस मौके पर प्रीति के प्रथम कोच रोशन लाल मलिक भावुक नजर आए। पिता जगबीर ही प्रीति को रोशन लाल मलिक के पास लेकर गए थे। प्रीति में लगन व प्रतिभा देख रोशन लाल ने गांव की पगडंडियों पर अभ्यास शुरू कराया। कोच रोशन लाल ने कहा कि एशियन गेम्स में पदक जीत कर प्रीति ने मेरी मेहनत को सार्थक कर दिया।