नई दिल्ली। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने अब तक की सबसे बड़ी ड्रग की खेप पकड़ी है। जानकारी के मुताबिक, एनसीबी ने आज मंगलवार को छापेमारी कर हजारों करोड़ की नशीली दवा लीसर्जिक एसिड डाईएथिलेमाइड (एलएसडी) बरामद की है। इस एक्शन के बाद एनसीबी ने देशभर में फैले ड्रग सिंडीकेट का खुलासा किया है। इस संबंध में एनसीबी के उप महानिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि हमने दो मामलों में छह लोगों को गिरफ्तार किया है और 15,000 एलएसडी ड्रग की जब्ती की है, जो व्यावसायिक मात्रा का 2.5 गुना है। इसकी व्यावसायिक मात्रा .1 ग्राम है। यह एक सिंथेटिक दवा है और बहुत खतरनाक है। यह पिछले 2 दशकों में सबसे बड़ी जब्ती है। वहीं संदिग्धों की निशानदेही पर 4.65 लाख रुपये नकद भी जब्त किए हैं।
एनसीबी अधिकारी ने कहा कि ड्रग्स का यह जाल दिल्ली से लेकर अमेरिका तक फैला हुआ था। उन्होंने कहा कि ड्रग्स का यह एक विशाल नेटवर्क था, जो पोलैंड, नीदरलैंड, यूएसए, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था। उन्होंने बताया कि नेटवर्क के लोग ड्रग्स की खरीद-बिक्री के लिए क्रिप्टोकरंसी और डार्कनेट का इस्तेमाल करते थे। एजेंसी ने कार्रवाई के दौरान 2.5 किलो मारिजुआना, बैंक खातों में जमा 4.65 लाख और 20 लाख रुपये भी जब्त किए हैं। एलएसडी या लिसर्जिक एसिड डाइथिलेमाइड वास्तव में सिंथेटिक रसायन आधारित एक मादक पदार्थ है तथा इसे मतिभ्रमकारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ‘डार्क वेब’ का मतलब इंटरनेट में गहराई में छिपे उन मंचों से है जिनका इस्तेमाल मादक पदार्थ को बेचने, पोर्नोग्राफी सामग्री के आदान-प्रदान और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया जाता है। इंटरनेट पर संचार में गोपनीयता बनाए रखने के लिए ‘अॅनियन राउटर’ की मदद से इन गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां इन्हें पकड़ न पाएं।