फर्जी संस्थान बनाकर ठगने वाले गिरफ्तार

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— सुभाष प्लेस इलाके में बना रखा था संस्थान
— महिला डायरेक्टर खुद को बताती थी डाक्टर
— दो सौ से ज्यादा को बना चुके थे शिकार
नई दिल्ली, 03 मार्च। अगर आप किसी समाचार पत्र में छपे किसी शिक्षण संस्थान का विज्ञापन को देखकर वहां से कोई डिग्री लेने की सोच रहे हैं, तो जरा इस संस्थान को भली भांति जाँच परख लें क्यूंकि उत्तर पश्चिमी जिले की सुभाष प्लेस पुलिस ने एक ऐसे ही संस्थान का पर्दाफाश करते हुए इस संस्थान के एक महिला डारेक्टर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने इनके पास कई नकली डिग्री और अन्य दस्तावेज़ बरामद किए हैं । पुलिस के मुताबिक ये गिरोह अब तक दो सौ से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुके थे। पकड़े आरोपियों की पहचान संजय चौधरी,भानू, सौम्या सामंतरा और नवीन के रूप में की गई है।दरअसल पकड़ा गया संजय चौधरी इस संस्थान का महाप्रबंधक और सौम्या और भानु निदेशक हैं जबकि नवीन डिग्री छपवाकर देने का काम करता था। पुलिस अभी इन लोगों से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर इनके इस गिरोह में और कितने लोग शामिल रहे हैं। पुलिस के मूताबिक यह गिरोह एमबीए, बीबीए और बी टेक जैसी डिग्री के नाम पर हजारों रुपएवसूला करते थे।
 उत्तर पश्चिमी जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रोमिल बानिया ने पुलिस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि गत 29 फ़रवरी को एक फ्रीलांस पत्रकार सुभाष कौशिक ने सुभास प्लेस थाने में शिकायत करते हुए बताया था कि इलाके में स्थित जग्गंनाथ इंस्टीटियूट ऑफ़ मेनेजमेंट नामक संस्थान लोगों को मोटा पैसा वसूलकर नकली डिग्री देने के गोरखधंधे में लगे हुए हैं। सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एसीपी सरस्वती विहार डॉ. राजीव शर्मा के नेतृत्व में एसएचओ सुभाष प्लेस विपिन कुमार. इंस्पेक्टर सतेन्द्र गोसैन, एसआई ललित कुमार अदि की टीम ने घन जाँच पस्ताल के बाद इस गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े सभी आरोपी बेहद फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के अलावा खुद को भी बेहद टिप टॉप रखते हैं। पकड़ा गया संजय मूलरूप से दरभंगा बिहार का रहने वाला है। जबकि भानु ने इस धंधे में अपना काफी पैसा लगाया हुआ था। वहीँ सौम्या खुद को मौलाना आज़ाद मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किए हुए बताती और इस संस्थान में यह पूरे दाखिले की इंचार्ज थी, लेकिन जाँच करने पर पुलिस को उक्त मेडिकल कालेज से ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली। पुलिस के मुताबिक इन लोप्गों ने जगन्नाथ के नाम से जो संस्थान बनाया अहा था दरअसल ऐसा कोई संस्थान पंजीकृत है ही नहीं। बताया जाता है की इन लोगों ने यह संस्थान जून 2011 में ही स्टार्ट किया था। यह लोग बाकायदा अपने इस फर्जी संस्थान का बाकायदा कई वेबसाईट पर विज्ञापन भी देते थे। पुलिस के मुताबिक जाँच पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर इनके संस्थान से वही लोग डिग्री लिया करते थे जिन्हें अपने प्रोफाइल को ज्यादा हाई प्रोफाइल दिखाते हुए अपने दफ्तरों में अपना प्रमोशन चाहिए होता है।

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