नई दिल्ली। सीबीआई ने अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में केस दर्ज किया है जिसमें 830 फर्जी संस्थानों के इस योजना का लाभ लेने का आरोप है। इस घोटाले से वर्ष 2017-2022 के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि एफआईआर बैंकों, संस्थानों और अन्य के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है। इसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रविधानों को लगाया गया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी है। सीबीआई की एफआईआर का हिस्सा बन चुकी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि सौ जिलों में 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में 830 संस्थान पूरी तरह से फर्जी पाए गए हैं। लगभग 53 प्रतिशत फर्जी अभ्यर्थी मिले हैं। ऐसे संस्थानों की सबसे अधिक तादाद असम (225), कर्नाटक (162), उत्तर प्रदेश (154) और राजस्थान (99) हैं। भ्रष्टाचार के इस कारोबार में बैंक और राज्य प्रशासनिक इकाइयां भी लिप्त हैं। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 10 जुलाई को सीबीआइ में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2021-22 के अंत तक पिछले पांच सालों में औसतन सालाना 65 लाख छात्रों को यह छात्रवृत्ति मिली है। यह घोटाला संस्थानों, बैंकों और आवेदकों की मिलीभगत के बगैर संभव ही नहीं है क्योंकि छात्रवृत्ति की रकम सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जाती है।