नई दिल्ली | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली की द्वारका स्थित हाईटेक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ कथित रूप से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को लगभग 8 करोड़ रुपये का चूना लगाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। कंपनी के निदेशकों – सिविल इंजीनियर राजेंद्र कुमार गुप्ता और अनिल कुमार मित्तल को भी मामले में आरोपी बनाया गया है।
फर्म 1993 में बनी थी और यह बिल्डिंग मैटिरियल में डील करती है। कंपनी ने अपने निदेशकों के माध्यम से लोन के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से संपर्क किया। बैंक ने सब कछ देखने के बाद 5 करोड़ रुपये का लोन मंजूर लिया। इसके बाद, कंपनी ने अपने निदेशकों के माध्यम से ऋण में वृद्धि के लिए फिर से बैंक से संपर्क किया और फिर लोन को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 8 करोड़ रुपये कर दिया गया।
हालांकि, यह राशि कभी नहीं चुकाई गई। फर्म के लोन को बाद में 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया। इसके बाद बैंक ने जांच की तो पता चला कि अभियुक्त ने धन का इस्तेमाल कहीं और कर लिया और बैंक से धोखा किया। एफआईआर में कहा गया, क्रेडिट जांच के निष्कर्षों से पता चला है कि कंपनी ने अन्य कंपनियों और संबंधित पक्षों के माध्यम से फंड डायवर्ट किया। इसके मद्देनजर यह कहा गया है कि कंपनी अपने निदेशकों, गारंटरों और अपने संबंधित पक्षों की मिलीभगत से उधार ली गई धनराशि का गबन किया है।