सीबीआई के डायमंड जुबली समारोह में बोले मोदी- कोई भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए

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जानिए सीबीआई का पूरा इतिहास, कब इसका गठन हुआ, इसका पहले क्या नाम था

संवाददाता

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो के डायमंड जुबली समारोह का उद्घाटन किया। विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में शिलांग, पुणे और नागपुर में स्थित सीबीआई के नवनिर्मित कार्यालय परिसरों का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी पर एक डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया। पीएम मोदी ने डायमंड जुबली चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए कहा, सीबीआई को रुकने या हिचकने की जरूरत नहीं है, कोई भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में देश आपके साथ है, कानून आपके साथ है और संविधान आपके साथ है। पहले भ्रष्टाचार की होड़ लगती थी और आरोपी निश्चिंत रहते थे। तब का सिस्टम उनके साथ खड़ा था। नतीजा, लोग फैसला लेने से डरने लगे। अब देश में भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार हो रहा है।

सीबीआई के डायमंड जुबली समारोह में बोले मोदी- कोई भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए

सीबीआई के डायमंड जुबली समारोह पर हम आपको बता रहे हैं सीबीआई का पूरा इतिहास। कब इसका गठन हुआ, इसका पहले क्या नाम था, ऐसे ही कई तथ्य ।

1941 में भारत के युद्ध और आपूर्ति विभाग के साथ लेन-देन में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक केंद्र सरकार पुलिस बल यानी विशेष पुलिस प्रतिष्ठान की स्थापना की गई थी। 1942 के अंत में रेलवे पर भ्रष्टाचार के मामलों को भी शामिल करने के लिए एसपीई की गतिविधियों का विस्तार किया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि रेलवे युद्ध सामग्री की आवाजाही और आपूर्ति से बहुत चिंतित था। 1943 में भारत सरकार द्वारा एक अध्यादेश जारी किया गया, जिसके जरिए एक विशेष पुलिस बल का गठन किया गया और ब्रिटिश भारत में कहीं भी किए गए केंद्र सरकार के विभागों के संबंध में किए गए कुछ अपराधों की जांच के लिए शक्तियां प्रदान की गईं।

बाद में 1946 के दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अध्यादेश द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। उसी साल दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 अस्तित्व में आया। इस तरह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम को लागू करके भारत सरकार के कई विभागों में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित मामलों में जांच के लिए भारत सरकार ने इसे औपचारिक रूप से एक एजेंसी के रूप में स्थापित कर दिया।

वर्ष 1953 में आयात और निर्यात नियंत्रण अधिनियम के तहत अपराधों से निपटने के लिए एसपीई में एक प्रवर्तन विंग जोड़ा गया। 1963 तक एसपीई को भारतीय दंड संहिता की 91 विभिन्न धाराओं और 16 अन्य केंद्रीय अधिनियमों के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1947 के तहत अपराधों की जांच करने के लिए अधिकृत किया गया। इसी दौरान एक केंद्रीय पुलिस एजेंसी की बढ़ती जरूरत महसूस की गई जो न केवल मामलों की जांच कर सके बल्कि घूसखोरी और भ्रष्टाचार के साथ-साथ केंद्रीय वित्तीय कानून उल्लंघन, सार्वजनिक ज्वाइंट-स्टॉक कंपनियों से संबंधित बड़ी धोखाधड़ी, पासपोर्ट धोखाधड़ी, खुले समुद्र में अपराध, एयरलाइंस पर अपराध और संगठित गिरोहों और पेशेवरों द्वारा किए गए गंभीर अपराध की जांच को भी मुकाम तक पहुंचा सके।
एसपीई का नाम बदलकर सीबीआई हुआ

इसलिए, भारत सरकार ने 1 अप्रैल 1963 को केंद्रीय जांच ब्यूरो की स्थापना की। इस तरह एसपीई का नाम बदलकर सीबीआई कर दिया गया। भ्रष्टाचार निवारण पर संथानम समिति ने सीबीआई के गठन की सिफारिश की थी। CBI की स्थापना तब गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी। सीबीआई अब भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय के तहत काम करती है और इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जांच का समन्वय करती है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों की जांच के लिए सीबीआई केंद्रीय सतर्कता आयोग को रिपोर्ट सौंपती है। सीबीआई की मुख्य जिम्मेदारी जांच और समाज के मूल्यों और नैतिकता को स्थापित करने पर निर्भर करती है। यह सबसे भरोसेमंद संगठनों में से एक है।

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