नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नॉर्थ कैंपस में एक पूर्व प्रोफेसर के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय की एक याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि स्थिति कानून और व्यवस्था का मुद्दा प्रस्तुत करती है, जिसको हैंडल करना दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है। अदालत ने इस स्तर पर मामले को आगे बढ़ाने की अनिच्छा व्यक्त की, इससे याचिका का निपटारा हो गया। दिल्ली विश्वविद्यालय ने याचिका दायर की थी, इसमें आरोप लगाया गया था कि डॉ. रितु सिंह और उनके अनुयायियों ने कला संकाय के गेट नंबर 4 के सामने जमीन पर अनधिकृत कब्जा करना शुरू कर दिया, विरोध प्रदर्शन और धरने आयोजित किए, इससे विश्वविद्यालय का संचालन बाधित हुआ। विश्वविद्यालय ने अदालत से हस्तक्षेप की मांग की, ताकि दिल्ली पुलिस आयुक्त को विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कॉलेजों और विभागों के निर्बाध और शांतिपूर्ण संचालन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जा सके। विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील मोनिका अरोड़ा ने अदालत को बताया कि सिंह के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी, जो न तो वर्तमान शिक्षक हैं, न ही छात्र हैं, न ही स्टाफ सदस्य हैं, अनिवार्य रूप से व्यवधान पैदा करने वाले बाहरी लोग हैं। जवाब में न्यायमूर्ति प्रसाद ने ऐसे मामलों में पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी बताई और पुलिस कार्रवाई के लिए निर्देश (परमादेश) जारी करने में अनिच्छा व्यक्त की।