रामपुर। उत्तर प्रदेश के रामपुर के चर्चित कारतूस कांड की 13 साल की सुनवाई और नौ गवाहों की गवाही के बाद आखिरकार 24 दोषियों को दस-दस साल की सजा और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दरअसल, कारतूस घोटाले का पर्दाफाश यूपी एसटीएफ ने 29 अप्रैल 2010 को किया था। आरोप था कि यह लोग नौकरी पर रहते हुए सरकारी कारतूस नक्सलियों और आतंकियों को सप्लाई करते थे और बदले में इन्हें मुंहमांगी रकम मिलती थी। सीआरपीएफ के दो जवानों विनोद और विनेश पासवान को भारी मात्रा में कारतूस के साथ गिरफ़्तार किया गया था। बताया गया कि 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जो बड़ा नक्सली हमला हुआ था, उनमें इन्हीं सरकारी कारतूसों का इस्तेमाल हुआ था। इस नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। मौके से जांच टीम को जब खोखे मिले तो शक हुआ और जांच बिठाई गई। इस मामले की सुनवाई स्पेशल जज ईसी एक्ट विजय कुमार की कोर्ट में चल रही थी, जिसमें दोनों पक्षों की बहस पूरी गई थी। सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप मौर्या ने बताया कि मुख्य आरोपी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा विनोद पासवान और विनेश कुमार सीआरपीएफ के आरक्षी हैं तथा नाथीराम यूपी पुलिस में आरक्षी है जो पीटीसी मुरादाबाद में तैनात था तथा राम किशन शुक्ला, रामकृपाल, सुशील कुमार मिश्रा, जितेंद्र कुमार सिंह, राजेश शाही, अमर सिंह, वंश लाल, अखिलेश कुमार पांडे, अमरेश कुमार, दिनेश कुमार, राजेश कुमार, मनीष राय, मुरलीधर शर्मा, विनोद कुमार सिंह, ओम प्रकाश सिंह, राज्य पाल सिंह, लोकनाथ, बनवारी लाल, आकाश, दिलीप राय और शंकर आरक्षी के पद पर तैनात थे। यह सभी लोग जमानत पर थे, फिलहाल निर्णय सुनाने के लिए अदालत में इन्हें हिरासत में लिया था तथा दोषी करार देने के बाद जेल भेज दिया था। शुक्रवार को इस मामले में न्यायालय ने दोषियों को 10-10 साल कारावास तथा 10-10 हज़ार रुपये अर्थदंड की सज़ा सुनाई। शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि उसमें 29 अप्रैल 2010 को एसटीएफ के अमोद कुमार द्वारा एक मुकदमा पंजीकृत कराया गया था, जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। विनोद पासवान, यशोदानंद और विनेश कुमार और उनसे बरामदगी हुई थी। यशोदा नंद से 1,75,000 रुपया बरामद हुआ था तथा इसने पीटीसी मुरादाबाद से नाथूराम सैनी को गिरफ्तार कराया था और उससे भी बरामदगी हुई थी, जिसका मुकदमा मुरादाबाद में पंजीकृत कराया गया।