महाराष्ट्र। मराठा आंदोलन की आग महाराष्ट्र के कई जिलों में फैलती हुई नज़र आ रही है। मुंबई समेत महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में मराठा समाज के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। आज मराठा क्रांति मोर्चा ने औरंगाबाद, हिंगोली, सतारा, नांदेड़ ज़िले में बंद बुलाया है। इसका असर बाज़ार, रोड ट्रांसपोर्ट पर पड़ सकता है। मौजूदा आंदोलन का केंद्र जालना है। जहां लाठीचार्ज और हिंसा के बाद महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 37(3) लागू की गई। इसके तहत बिना किसी वैध कारण के 5 या उससे ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समाज ने जालना लाठीचार्ज से बाद प्रदर्शन तेज कर दिया है। मराठा समाज की लंबे समय से मांग रही है कि आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन की वजह से समाज को आरक्षण की जरूरत है। मराठा आरक्षण की माग सबसे पहले साल 2004 में विलासराव देशमुख सरकार के वक्त सामने आई थी, जिसके बाद मौजूदा कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने नारायण राणे की अध्यक्ष में कमिटी का गठन किया था। साल 2014 में नारायण राणे समिति की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समाज को सरकार ने 16 फीसदी आरक्षण दिया गया था।राणे कमिटी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य के 5।5 लाख परिवारों और करीब 18 लाख मराठा समाज के लोगों का सर्वे किया गया, जिसके बाद आरक्षण दिया गया। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी। महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में प्रदान किए गए आरक्षण को मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने अन्य आधारों के अलावा कुल आरक्षण का 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था। मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जारी आंदोलन शुक्रवार को जालना के अंतरवाली सराटी गांव में हिंसक हो गया, जिसमें दर्जनों पुलिस कर्मी सहित कई लोग घायल हुए। पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अधिकारियों को भूख हड़ताल पर बैठे एक व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से रोक दिया था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 360 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।