शिमला। हिमाचल प्रदेश में कुदरत का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश में बार-बार भूस्खलन और बादल फटने की सूचनाएं मिल रही हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है। बीते चार दिनों हुई आफत की बारिश से 71 लोगों की मौत हो गई है और करोड़ों का नुकसान हुआ है। प्रदेश के अधिकतर जिले बाढ़ की चपेट में है। वहीं, पोंग बांध से पानी छोड़े जाने से कांगड़ा जिला बाढ़ की मार झेल रहा है। लोगों को तेजी से सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। कांगड़ा से अब तक 1,700 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया। जिला प्रशासन, सेना और भारतीय वायुसेना मिलकर राहत-बचाव का कार्य कर रही है। वहीं, शिमला के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। बीते दिनों में भी कई बार शिमला में भारी भूस्खलन हुआ है। कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई तो कई इमारतें ढहने के कागार पर हैं। शहरी विकास विभाग की कई इमारतों पर भी खतरा मंडरा रहा है। शिमला के कृष्णनगर में भारी लैंडस्लाइड हुआ, जिसमें स्लॉटर हाउस सहित कई घर जमींदोज हो गए। कृष्णानगर वार्ड में स्लॉटर हाउस के पास पहाड़ खिसकने से 5 भवन गिर गए हैं। मंगलवार शाम को हुए इस हादसे रात के समय राहत कार्य जारी रहा। अभी तक इससे दो लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। इमारतों पर मंडरा रहे खतरों को देखते हुए वहां से 35 से अधिक घरों के निवासियों को खाली करा लिया गया। वहीं, शिव मंदिर में हुए हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है। जैसे-जैसे बचावकर्मियों ने मलबे, मिट्टी और गिरे हुए पेड़ों के ढेर को सावधानीपूर्वक खंगाला, हर गुजरते पल के लोगों के शव बरामद हुए। अभी भी वहां कई लोग लापता हैं।