एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड मामला, राउज़ एवेन्यू कोर्ट आज सुनाएगा बड़ा फैसला

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नई दिल्ली। साल 2012 के बहुचर्चित एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड मामले में दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट आज अपना बड़ा फैसला सुनाएगा। हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। कोर्ट के फैसले से कांडा का राजनीतिक भविष्य तय होगा। दरअसल, गोपाल कांडा की एयरलाइंस में एयर होस्टेस के तौर पर काम कर चुकी गीतिका ने 5 अगस्त, 2012 में यहां अशोक विहार के अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड नोट में इस कदम के लिए कांडा और उनकी MDLR कंपनी में सीनियर मैनेजर रहीं अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया था। कांडा को इस मामले में 18 महीनों तक जेल में रहना पड़ा. उन्हें मार्च 2014 में जमानत मिली, जो सहआरोपी अरुणा चड्ढा को हाई कोर्ट से मिली जमानत के आधार पर उन्हें मिली थी। गीतिका की मौत के करीब छह महीने बाद उनकी मां अनुराधा शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली थी। गीतिका शर्मा के आत्महत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने गोपाला कांडा के खिलाफ चार्जशीट में आईपीसी की धारा 376, 377 के तहत आरोप चार्जशीट दायर किया था। इसके अलावा उन पर आईपीसी की सेक्शन 120 बी, 201, 466 ,468 और 469 के तहत भी पुलिस ने मामला दर्ज किया था। साल 1998 के करीब खराब रेडियो रिपेयर कर कुछ सौ रुपए महीना कमाने वाले कांडा जूता बेचते-बेचते रियल एस्टेस के बड़े कारोबारी बन गए जिसके बाद उन्होंने एविएशन सेक्टर में भी हाथ आजमाने की सोची। यहीं से उनके जीवन में गीतिका शर्मा की एंट्री हुई जिसके बाद कांडा ने अपनी एयरलाइंस कंपनी खोल ली। गोपाल कांडा ने साल 2008 में गुड़गांव से MDLR एयरलाइंस की शुरुआत की, यह वही एयरलाइंस है जिसमें गीतिका शर्मा एयर होस्टेस थीं. इसका नाम उन्होंने अपने पिता के नाम ‘मुरलीधर लेखा राम’ (MDLR) के नाम पर रखा था। हालांकि उनके विवादों में फंसने के बाद साल 2009 में एयरलाइंस का कामकाज बंद हो गया। एमडीएलआर की सेवा बंद हो चुकी थी पर कंपनी चल रही थी। इसके साथ करीब 40 दूसरी कंपनियां भी चल रही थीं। पैसा और पॉवर अपने साथ गंदगी भी लेकर आई। कांडा ने अपनी कंपनियों में लड़कियों को भर्ती करना शुरू कर दिया । छोटी उम्र में ही लड़कियों को बड़े-बड़े पद बांट दिए। इन्हीं में से एक लड़की थी दिल्ली की गीतिका. गीतिका शर्मा पर गोपाल कांडा कुछ ज्यादा ही मेहरबान थे और महज तीन साल के अंदर वो ट्रेनी से कंपनी की डायरेक्टर की कुर्सी तक पहुंच गई। मेहरबानियां बरसती रहीं और गीतिका तरक्की करती गई। लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि गीतिका, कांडा और उनकी कंपनी दोनों से दूर चली गई। उन्होंने दुबई में नौकरी कर ली। पर कांडा ने उन्हें दिल्ली वापस आने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली आने के बाद भी कांडा ने गीतिका का पीछा नहीं छोड़ा. आरोप है कि कांडा से तंग आकर गीतिका ने 05 अगस्त 2012 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

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