मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष का जमकर हंगामा,लोकसभा की कार्रवाई दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित

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नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिनमणिपुर वायरल वीडियो मामले को लेकर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद सदन की कार्रवाई दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगति कर दी गई। राज्यसभा में भी हंगामा होने के आसार हैं। कांग्रेस, आप और बीआरएस सासंदों ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग करते हुए लोकसभा और राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव पर नोटिस दिया है। उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में आकर जवाब दें। मणिपुर के हालात पर लोकसभा में हंगामे के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, मणिपुर की घटना निश्चित रूप से बहुत गंभीर है और स्थिति को समझते हुए पीएम ने खुद कहा है कि मणिपुर में जो हुआ उसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। घटना पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम मणिपुर पर संसद में चर्चा चाहते हैं। मैंने सर्वदलीय बैठक में यह कहा था और मैं संसद में यह दोहराता हूं कि हम मणिपुर पर सदन में चर्चा चाहते हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि कुछ राजनीतिक दल हैं जो अनावश्यक रूप से यहां ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं ताकि मणिपुर पर चर्चा न हो सके। मैं स्पष्ट रूप से आरोप लगा रहा हूं कि यह विपक्ष मणिपुर पर उतना गंभीर नहीं है जितना उन्हें होना चाहिए था।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि विपक्ष चर्चा से क्यों भाग रहा है? देश की जनता जब एक उम्मीद के साथ संसद सत्र की ओर देखती है और यह विपक्षी दल मुद्दों को नहीं उठाने देते, चर्चा में भाग नहीं लेते तो अपने आप में ही इनकी भूमिका पर प्रश्न चिह्न खड़ा होता है, हम संवेदनशील हैं और चर्चा में भाग लेना चाहते हैं, लेकिन विपक्ष अपनी जिम्मेदारी और चर्चा से भाग रहा है। मणिपुर की स्थिति पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, मैं सिर्फ एक बात कहना चाहूंगा, खासकर बीजेपी, पीएम और अन्य लोगों के लिए- समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध, ऐसी सैकड़ों घटनाएं हुईं वाले बयान के बाद भी मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह अपनी कुर्सी पर कैसे टिके हुए हैं? कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मणिपुर में पिछले 77 दिन से अराजकता का माहौल बना हुआ है। अगर यह कहा जाए कि वहां पर सरकार और प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है तो ये गलत बात नहीं है। उन्होंने कहा, मानसून सत्र में पीएम मोदी का यह दायित्व होना चाहिए कि इस विषय पर वो सदन के समक्ष बोले। सवाल यह है कि पिछले 78 दिन मणिपुर में जो हो रहा है, उसका जिम्मेदार कौन हैं? इसलिए विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव के तहत मांग की है कि दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए। हमारी मांग है कि पीएम सदन के बाहर बोल सकते हैं तो सदन के अंदर क्यों नहीं बोल सकते?

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