नोएडा। नोएडा प्राधिकरण में सात करोड़ रुपए के मुआवजे के वितरण में हुए फर्जीवाड़े की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी दो सप्ताह में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट देगी। मुआवजा वितरण में हुई धांधली के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रदेश सरकार ने इस मामले में चेयरमैन बोर्ड ऑफ रेवन्यू, कमिश्नर मेरठ, एडीजी मेरठ जोन को शामिल कर कमेटी का गठन किया है। कमेटी दो सप्ताह के भीतर जांच को पूरा कर इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी। मुआवजा वितरण के इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नोएडा प्राधिकरण के एक-दो अफसर इस फर्जीवाड़े में शामिल नहीं हैं, बल्कि प्राधिकरण का पूरा सेटअप इसमें मिला हुआ है। राज्य सरकार ने इस मामले में अब तक जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ जांच क्यों नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद अब इस मामले में जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। इसको लेकर प्राधिकरण कई अधिकारियों की बेचैनी बढ़ गई है। गौरतलब है कि नोएडा प्राधिकरण के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इन लोगों पर सात करोड़ 26 लाख 80 हजार 427 रुपए का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के क्लर्क वीरेंद्र नागर की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। वीरेंद्र नागर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगने पहुंचे थे। क्लर्क की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। अब इन मामलों को 2 नवंबर 2023 को सुनवाई के लिए पेश किया जाएगा।