नई दिल्ली। पूरे देश, दिल्ली और खासकर पूर्वी दिल्लीवालों के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास रहा। पूर्वी दिल्ली के सूरजमल विहार में गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के नए कैंपस का सीएम अरविंद केजरीवाल ने उद्घाटन कर इसे देश को समर्पित किया। आईपी यूनिवर्सिटी का यह कैंपस कई मायनों में खास है। यहां 2400 से अधिक छात्रों को विश्व स्तरीय शिक्षा दी जाएगी। यहां बच्चों को ऑटोमेशन, डिजाइन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डाटा मैनेजमेंट, इनोवेशन सिखाया जाएगा। कैंपस में शैक्षिक सत्र इसी वर्ष से शुरू हो जाएगा। 19 एकड़ में फैला यह कैंपस आर्किटेक्चरल और सुविधाओं के लिहाज से देश का सबसे बेहतरीन कैंपस है। कैंपस में 9 मंजिला और 7 मंजिला एकेडमिक ब्लॉक हैं, जिसमें सेंट्रल लाइब्रेरी, इन्क्यूबेशन सेंटर, लेक्चर थिएटर, क्लासरूम, शानदार ऑडिटोरियम, इंडोर स्पोर्ट्स हॉल और बच्चों के लिए आवासीय काम्प्लेक्स समेत अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को बधाई देते हुए कहा कि गुरू गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी का पहला कैम्पस द्वारका में है और दूसरा अब पूर्वी दिल्ली में है। आज से पूर्वी दिल्ली के इस शानदार और बेहद आधुनिक कैम्पस की शुरूआत हो चुकी है। बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा और बेहतरीन सुविधाएं देने में हम कोई कमी नहीं होने देंगे।
यूनिवर्सिटी का नया कैंपस खुलने से क्षेत्र को अर्थव्यवस्था के लिहाज से बहुत फायदा होगा- अरविंद केजरीवाल
कैंपस के उद्घाटन के बाद बच्चों को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आईपी यूनिवर्सिटी का यह ईस्ट कैंपस देश को समर्पित किया जा रहा है। कैंपस में बहुत शानदार सुविधाएं हैं और बहुत खूबसूरत बना है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आर्किटेक्चर और सुविधाओं के लिहाज से शायद यह कैंपस देश का सबसे बेहतरीन कैंपस है। यहां देश भर से बच्चे पढ़ने आएंगे। यहां 2400 से अधिक बच्चों के पढ़ने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि जब यूनिवर्सिटी बनती है तो आसपास की अर्थव्यवस्था को भी बहुत फायदा होता है। बच्चे यहां आकर रहेंगे तो आसपास खूब सारी दुकानें खुलेंगी, कई लोगों को रोजगार मिलेगा। मुख्य रूप से इस क्षेत्र को अर्थव्यवस्था के लिहाज से बहुत ज्यादा फायदा होगा।
पिछले सात-आठ सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बहुत बड़ा बदलाव आया है- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले सात-आठ सालों में दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में काफी ज्यादा बदलाव आए हैं। हमारे देश में एक तरह से दो तरह की शिक्षा व्यवस्था है। एक सरकारी स्कूल होते हैं और एक प्राइवेट स्कूल होते हैं। अगर आपके पास पैसा है तो अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं और अगर पैसा नहीं है और गरीब हैं तो मजबूरी में अपने बच्चे को सरकारी स्कूलों में भेजा करते थे। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई बहुत खराब होती थी। लेकिन पिछले सात-आठ सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बहुत बड़ा बदलाव आया है, जो परीक्षा के नतीजों और इंफ्रास्ट्रक्चर से भी दिखाई देता है। हम लोगों ने दिल्ली में 12वीं तक की शिक्षा में एक तरह से एक मॉडल तैयार कर दिया। दिल्ली के सरकारी स्कूल बहुत अच्छे कर दिए और एक सिस्टम तैयार कर दिए। अगर आपके पास पैसे नहीं है तब भी आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी। आप अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में भेज दीजिए, उसे अच्छी शिक्षा मिलेगी। अब हमें 12वीं के बाद ही शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है।
2015 में 12वीं पास करने वाले 2.5 लाख बच्चों में से 1.10 लाख के लिए ही सीटें उपलब्ध थीं- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में हर साल करीब 2.5 लाख बच्चे 12वीं पास करते हैं। इसमें से लगभग 1.50 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों और एक लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों से निकलते हैं। दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालयों में 85 फीसद सीट दिल्ली के बच्चों के लिए रिजर्व हैं। लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के अंदर सीटें रिजर्व नहीं है। 2015 में जब हमने दिल्ली की जिम्मेदारी संभाली थी, उस एक अनुमान लगाया गया था। इसमें पाया गया कि दिल्ली में 12वीं पास करने वाले 2.5 लाख बच्चों में से 1.10 लाख बच्चों के लिए ही सीट उपलब्ध थी और एक तरह से 1.40 लाख बच्चों के लिए सीटों की कमी थी। पिछले 7-8 सालों में हम इसे बढ़ाकर 1.10 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख सीटों तक ले जा पाए हैं। दिल्ली में 12वीं के बाद 1.50 लाख बच्चों के लिए सीट उपलब्ध है और अभी भी 1 लाख सीटों की कमी है। हमें अभी एक लाख और बच्चों के लिए सीट बनाने की जरूरत है।
ऐसी डिग्री का क्या फायदा है, जब नौकरी ही नहीं मिलती, हमें ऐसी शिक्षा देनी होगी जो रोजगार भी दिलाए- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर पढ़ने के बाद भी नौकरी न मिले तो मन में ये सवाल उठता है कि हमने जो उच्च शिक्षा हासिल की है, क्या वो सार्थक थी। आज एक युवा के सामने सबसे बड़ी समस्या नौकरी की है। पढ़े-लिखे युवा को नौकरी नहीं मिलेगी तो हाथ में डिग्री लेकर घूमने से कोई फायदा नहीं है। यह सारा सिस्टम 1830 ईस्वी में मैकाले ने बनाया था। बताया जाता है कि अंग्रेजों के आने के पहले हमारे देश में बहुत अच्छी शिक्षा व्यवस्था थी। गांव-गांव में स्कूल थे। अंग्रेजों ने आकर हमारी शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया। मैकाले ने शिक्षा व्यवस्था भारत के लिए नहीं बनाई थी। उन लोगों ने सारी शिक्षा व्यवस्था क्लर्क पैदा करने के लिए बनाई थी कि क्लर्क पैदा होंगे और वो अंग्रेजों की सेवा करेंगे। दुर्भाग्य पूर्ण है कि आजादी के बाद हमने शिक्षा व्यवस्था में अमूलचूक परिवर्तन नहीं किया। आज भी वही शिक्षा व्यवस्था चली आ रही है। युवा बीए, बी-कॉम समेत अन्य डिग्री लेते हैं लेकिन नौकरी नहीं मिलती है। जब नौकरी ही नहीं मिलती है तो डिग्री लेने का क्या फायदा? अब हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा देनी पड़ेगी जो रोजगार दिलवाए।
हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनना है, इस दिशा में शिक्षा व्यवस्था को लेकर जाना पड़ेगा- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आईपी यूनिवर्सिटी के ईस्ट कैंपस मे जो शिक्षा देने की योजना बनाई जा रही है, उसमें डिजाइन, ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट, रोबोटिक, इनोवेशन, मशीन लर्निंग और डेटा मैनेजमेंट पर सीखाया जाएगा। आज तकनीक के युग में इसकी मांग है। मुझे उम्मीद है कि यहां से निकलने वाले बच्चों को तुरंत नौकरी मिलेगी। मेरा मानना है कि हर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की जवाबदेही इस बात से तय होनी चाहिए कि आपकी यूनिवर्सिटी से निकलने वाले कितने बच्चों को नौकरी मिली। देश में नौकरियों की कमी है। यदि सारे बच्चे नौकरी ही ढूंढने लगे तो उतनी नौकरी नहीं है। हम बार-बार ये कहते हैं कि हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनना है। उस दिशा में अपनी शिक्षा व्यवस्था को लेकर जाना पड़ेगा।
कॉलेजों में आंत्रप्रिन्योरशिप प्रोग्राम शुरू करने की जरूरत है, शिक्षा मंत्री इस दिशा में प्रयास करें- अरविंद केजरीवाल
सीएम ने कहा कि हम लोगों ने बच्चों को नौकरी ढूंढने की बजाय नौकरी देने वाला बनाने का एक छोटा सा प्रयास किया। हम लोगों ने बिजनेस ब्लास्टर्स आंत्रप्रिन्योरशिप प्रोग्राम के तहत 11वीं और 12वीं के बच्चों को बिजनेस करने के लिए प्रेरित किया। इसके तहत हम हर बच्चे को दो हजार रुपए देकर बिजनेस करने के लिए कहते हैं। इसमें कुछ बच्चे मिलकर एक टीम बनाते हैं। फिर सारे बच्चे पैसा मिलकर कोई बिजनेस आइडिया तलाशते हैं। फिर वो प्रोडक्ट बनाकर सोशल मीडिया के जरिए मार्केटिंग करते हैं। तीन लाख (1.5 लाख 11वीं और 1.5 लाख 12वीं) बच्चों ने मिलकर 52 हजार टीम बनाई हैं और हर टीम का एक आइडिया है। किसी ने कॉफी, किसी ने ताला, किसी ने गेमिंग एप तो किसी ने सॉफ्टवेयर बनाया है। इन बच्चों से बात करने से पता चलता है कि उनका पूरा माइंड सेट बदलता जा रहा है। अब वो बिजनेस, मार्केटिंग और निवेश के बारे में सोचते हैं। अगर हम कॉलेजों में आंत्रप्रिन्योरशिप प्रोग्राम शुरू कर दें तो पास आउट होकर निकलने वाले 50 फीसद बच्चों ने भी बिजनेस करना चालू कर दिया तो बाकी 50 फीसद बच्चों को यही लोग नौकरी दे देंगे। हमें इसी दिशा की तरफ जाना पड़ेगा। मैंने शिक्षा मंत्री आतिशी और आईपी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से भी इस दिशा में सोचने की अपील की है कि कॉलेज के बच्चों को भी आंत्रप्रिन्योरशिप क्लासेज की तरफ लेकर जाएं।
पिछले 6-7 साल में दिल्ली में 12वीं पास कर निकलने वाले बच्चे कहां गए? इसका सर्वे करने की जरूरत है- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमें एक सर्वे करने की जरूरत है कि पिछले 6-7 साल में हमारे दिल्ली के जो बच्चे 12वीं पास कर निकले, वो कहां गए? उनमें से कितनों ने पढ़ाई छोड़ दी, कितने दिल्ली के बाहर पढ़ने गए। कौन क्या कर रहा है? अगर इसका हमें एक डेटा मिल जाए तो हम समझ पाएंगे कि किसी चीज की सबसे ज्यादा मांग है और उस सेक्टर के अंदर और ज्यादा सुविधाएं मुहैया करा सकते हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि आईपी यूनिवर्सिटी पहले देश की टॉप टेन यूनिवर्सिटी में आएगी और एक समय ऐसा भी आएगा, जब दुनिया की टॉप टेन यूनिवर्सिटी में आएगी।
भारत दुनिया का नंबर-1 देश तभी बनेगा, जब देश के हर बच्चे को शानदार शिक्षा मिलेगी- आतिशी
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि दो महीने पहले मैनें इस नए कैंपस का निरीक्षण किया था और सोशल मीडिया पर इसकी फ़ोटोज़ साझा की। तब लोगों ने आश्चर्य चकित होते हुए पूछा था कि यह कैंपस स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का है या न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी का है। तब मैंने उनको बताया कि यह केजरीवाल सरकार के गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी का ईस्ट दिल्ली दिल्ली कैंपस है। उन्होने कहा कि इस देश की राजनीति में पहली बार शिक्षा राजनीति की मुद्दा बनी है। इस देश का हर नागरिक चाहता है कि भारत दुनिया का नंबर-1 देश बने, लेकिन यह तभी संभव है, जब देश के हर बच्चे को शानदार शिक्षा मुहैया कराई जाए। हम वर्षों से सुनते आ रहे है कि भारत एक विकासशील देश है। जब हम पढ़ते थे, तब भी यही बात कही जाती थी और आज भी बच्चों को यही पढ़ाया जा रहा है कि भारत विकासशील देश है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि भारत में ब्रिज और फ्लाईओवर बनाने से देश का विकास होगा, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मानना है कि शानदार स्कूल व कॉलेज बनाने से देश विकसित बनेगा।
शिक्षा क्रांति के परिणाम स्वरूप पिछले 5 सालों से दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से बेहतर हैं- आतिशी
शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि 2015 में जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने एक सपना देखा कि दिल्ली के हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। सिर्फ़ अमीर परिवार में पैदा होने वाले बच्चे को ही अच्छी शिक्षा का अधिकार नहीं है बल्कि जिस माता पिता के पास महंगे प्राइवेट स्कूल या कॉलेज की फ़ीस देने के पैसे नहीं है, उसके बच्चे को भी अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। हर बच्चे के पास बराबरी का अवसर होना चाहिए। पिछले आठ साल से दिल्ली सरकार ने अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा पर लगाया है जो देश में किसी भी सरकार से ज्यादा लगया है। आज उसी शिक्षा क्रांति का नतीजा है कि पिछले 5 सालों से हर साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से बेहतर हैं। दिल्ली में शिक्षा क्रांति का ही नतीजा है कि पिछले 3 साल में 4 लाख से ज्यादा बच्चे प्राइवेट स्कूल छोड़ कर दिल्ली के सरकारी स्कूल में आ रहे हैं। जब दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की 4400 सीटों के लिए एडमिशन खुलते हैं तब 92 हजार छात्र आवेदन करते हैं। दिल्ली की शिक्षा क्रांति सिर्फ स्कूलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पिछले आठ साल में पांच नई यूनिवर्सिटी खुली हैं। इसमें दिल्ली फार्मास्यूटिकल यूनिवर्सिटी, नेताजी सुभाष टेक्निकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी, दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी शामिल है।
उन्होंने कहा कि ईस्ट दिल्ली को हमेशा पिछड़े इलाक़ों में गिना गया। मुझे ख़ुशी है कि ईस्ट दिल्ली में दिल्ली सरकार का यह तीसरा यूनिवर्सिटी कैंपस है। यह बहुत ही शानदार कैंपस बना है। यह कैंपस दिल्ली के बच्चों को 21वीं सदी में प्रवेश करने का मौका देगा। रोबोटिक, आटोमेटिक लर्निंग और डिज़ाइन पढ़ने का मौका मिलेगा। मुझे पूरा भरोसा है कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति इसी तरह बढ़ती रही तो भारत को दुनिया का नंबर-1 देश बनने से कोई नहीं रोक सकता।